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Madhya Pradeshइंदौर

शिवराज का वो कौन सा वादा था जिससे पलटने पर बिगड़ गए गुड्डू ? क्या सांवेर के पुराने भाजपा नेता दिल से सिलावट का साथ देंगे ?

विशेष - डॉ सौरभ माथुर

इंदौर : इंदौर के पुराने नेता प्रेमचंद गुड्डू का सांवेर सीट पर हाथ रखते ही प्रदेश में जो घमासान शुरू हो गया वह अब थमने का नाम ही नहीं ले रहा है।
इस पर भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय सचिव श्री कैलाश विजयवर्गीय ने शुक्रवार को मीडिया से बात करते हुए यह माना कि प्रेमचंद गुड्डू को जो सम्मान मिलना चाहिए था वह भारतीय जनता पार्टी अभी तक नहीं दे पाई है ।

उनके इस बयान ने प्रदेश की राजनीति में कई सवाल खड़े कर दिए जैसे कि क्या खुद पार्टी को यह बात ज्ञात थी कि प्रेमचंद गुड्डू जैसा वरिष्ठ राजनीतिज्ञ को ऐसे वक्त में पार्टी से खोना कितना भारी पड़ सकता है?

जो गलती कमलनाथ ने सिंधिया खेमे के साथ की थी क्या को गलती शिवराज तो नहीं कर रहे ?

जिस गुड्डू को कांग्रेस से भारतीय जनता पार्टी में जतन के साथ लाया गया था उन सभी मेहनतों पर क्या एक झटके में पानी फिर गया है?

क्या अब सांवेर जैसी महत्वपूर्ण सीट पर चुनावी घमासान तुलसी सिलावट जैसे सिंधिया के चहेते नेता को भी हरा सकता है?

असल में सूत्रों की माने तो जब प्रेमचंद गुड्डू को भारतीय जनता पार्टी में शामिल किया गया था तब सूबे के मुख्यमंत्री शिवराज चौहान ने उनसे कुछ बड़े पदों को लेकर वादे किए थे जिन्हें पूरा करने से वह अब मुकर चुके हैं, चुकीं प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में जब वही वादे से मुकर चुके हैं तो बाकी भारतीय जनता पार्टी के नेता भी अब कुछ नहीं कर पा रहे, जिसका आभास कल कैलाश विजयवर्गीय के बयान में भी मिल रहा था, हालांकि इसने सांवेर विधानसभा चुनाव को बहुत ही चुनौतीपूर्ण मोड़ पर ला खड़ा कर दिया है जहां भाजपा से कांग्रेस में गए गुड्डू और कांग्रेस से भाजपा में आए सिलावट की जबरदस्त टक्कर होने जा रही है।

इस्तीफे और स्पष्टीकरण की राजनीति जब जोर पकड़ने लगी तब गुड्डू ने खुलासा किया कि वह 9 फरवरी को अपना इस्तीफा पहले ही दे चुके थे जिसके बाद बीजेपी में अपने आप एक घमासान मच गया क्योंकि सांवेर विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव अब बेहद ही चुनौतीपूर्ण लग रहे हैं क्योंकि एक तरफ बीजेपी से कांग्रेस में जाने वाले गुड्डू हैं तो वहीं कांग्रेस से बीजेपी में आने वाले सिलावट है।

सूत्रों की मानें तो सिलावट के लिए चुनौतियां भी कम नहीं होंगी क्योंकि जिस भाजपा नेता ने सांवेर से इतने वर्ष राजनीति की और जब विधायक बनने की बारी आई तो उसकी सीट दबाव में पूर्व कांग्रेसी सिलावट को दे दी गई मतलब चाहे ऊपरी तौर से भारतीय जनता पार्टी के वह नेता और उनके कार्यकर्ता तुलसी सिलावट के साथ दिखाई देंगे लेकिन हो सकता है वह अंदर ही अंदर उनकी काट भी कर जाए इसीलिए ऐसे वक्त जब आंतरिक विरोध अथवा सामने टक्कर का नेता खड़ा हो तब ऐसे चुनाव पर पार पाना बेहद कठिन कार्य हो जाता है हालांकि यदि तुलसी सिलावट ने इस बार प्रेमचंद गुड्डू को भारी मतों से शिकस्त दे दी तो सिलावट का कद प्रदेश की राजनीति में और भी बढ़ जाएगा , वहीं अगर यह चुनाव गुड्डू ने जीत लिया तो सिलावट के लिए आने वाला समय बेहद चुनौतीपूर्ण हो जाएगा क्योंकि जिस पार्टी में उन्होंने इतने साल तपस्या की वहां वह किस मुंह से वापस जाएंगे और यदि हार गए तो ‘ पद ‘ और मंत्री पद दोनों से हाथ धो बैठेंगे।

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