बापना जी की दुर्घटना से कोई सबक नहीं, सरकारी लापरवाही से फिर गंभीर रूप से घायल हुए एक वरिष्ठ पत्रकार
कुछ दिन पहले ही वरिष्ठ पत्रकार बापना जी का सड़क दुर्घटना में देहांत हो गया था जिसने कई प्रबंधों पर सवाल खड़े कर दिए थे, काल रात फिर इंदौर में गृह मंत्री श्री बाला बच्चन के निवास स्थान से महज़ कुछ मीटर की दूरी पर रात के अंधेरे में एक जानलेवा स्पीड ब्रेकर से टकराकर वरिष्ठ पत्रकार अशोक सघुवंशी घायल हो गए।
शहर की सड़कों पर नगर निगम ने बगैर किसी मापदंड के ही स्पीड ब्रेकर बनवा दिया है। वर्तमान में यह ब्रेकर लोगों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है। ब्रेकर बनाने में निगम ने तय गई दिशा-निर्देश व मापदंड की भी अनदेखी की है। साथ ही मुख्य सड़कों सहित गलियों में भी बेतरतीब ब्रेकर बना दिए हैं। इसमें किसी भी नियम का फॉलो नहीं किया गया है। बड़ी बात तो यह है कि ब्रेकरों की ऊंचाई और स्लोप कितना होना चाहिए इसकी जानकारी निर्माण करने वाले ठेकेदारों को नहीं है। ऐसे में ठेकेदारों ने रोड पर बिना किसी मापदंड के ही यहां-वहां ब्रेकर बना दिया हैं। सड़कों पर गति अवरोध बनाने से पहले ट्रैफिक विभाग से सहमति लेना पड़ता है, लेकिन नगर निगम ने विभाग के नियमों को ताक पर रखकर ही लोगों की मांगनुसार इच्छा के मुताबिक ब्रेकर बना दिए हैं। अब यही ब्रेकर सुविधा की जगह लोगों के लिए मुसीबत बन गया है।
गति अवरोध दुर्घटनाओं को रोकने के बजाए घटनाओं की संख्या में इजाफा हो रहा है।
शहर की सड़कों पर नगर निगम ने तकनीकी जानकारों के बगैर किसी मापदंड के ही मनमाने ढंग से ब्रेकरों का निर्माण करा दिया है जिसे पार करते समय गाड़ी को संभालना मुश्किल हो जाता है, इसका कारण है स्पीड ब्रेकरों की ऊंचाई।
शहरभर में बे्रकरों की ऊचाई करीब 15 सेमी से अधिक है,इनमें स्लोप नहीं होने के कारण भी वाहन चालक अनियंत्रित होकर गिर रहे हैं।
निर्देश के मुताबिक आदर्श स्पीड ब्रेकर की ऊंचाई 10 सेमी, लंबाई 3.5 मीटर और कर्वेचर रेडियस 17 मीटर होना चाहिए। इसके अलावा ब्रेकर के *40 मीटर पहले वाहनों को सचेत करने के लिए चेतावनी बोर्ड लगाना भी आवश्यक है। गति अवरोधक बनाने का मकसद वाहनों की गति को 20 से 30 किमी प्रति घंटा तक कम करना है, जिससे दुर्घटनाएं कम हो सकें, लेकिन शहरभर में इंजीनियरों ने किसी भी ब्रेकर में आईआरसी के निर्देशों का पालन नहीं किया है।
स्वच्छ्ता में नंबर 1 आने पर बधाई, आप आपका परिवार तो 4 पहिया कार में आराम से सड़कों पर निकल जाते हो इंदौर की सड़कों पर 2 पहिया वाहन चालकों की भी थोड़ी फिक्र कर लो। भले ही 100 स्पीड ब्रेकर ओर बना दीजिये कोई दिक्कत नही। लेकिन गति अवधोरको से पहले सूचना बोर्ड,गति अवरोधक सफेद कलर से पुते हुए हो। जो दूर से दिखाई दे।
स्मार्ट सिटी के नाम पर करोड़ो रूपये के रंगों से इंदौर को बदरंग करने की जगह अगर गति अवरोधकों पर सफेद रंग पोत दिया होता तो रोज होते एक्सीडेंट कुछ कम जरूर हो जाते।