इंदौर के क्वारंटाइन इलाकों से रात दो बजे से सुबह पांच बजे तक लोग पैदल या दुपहिया वाहन पर छोड़ रहे शहर, प्रदेश के दुसरे इलाकों में पहुँच फ़ैला रहे ख़तरा
सम्पादकीय - डॉ सौरभ माथुर
इंदौर। जहाँ इंदौर देश के हॉट स्पॉट्स में शामिल हो चुका हैं वहीँ शहर के कुछ सबसे अधिक संक्रमित इलाकों में से लोग अँधेरे और ऑड टाइमिंग्स का फायदा उठा कर चुपचाप पलायन कर रहें हैं. ऐसी मूर्खता करके वो अपने साथ अन्य शहरों में भी संक्रमण का भारी ख़तरा उठा रहें हैं।
ऐसा वो लोग कोरोना के डर और अफवाहों की वजह से कर रहें हैं किन्तु इसमें प्रशासन के लूप होल्स भी उजागर हो रहें हैं , असल में सभी चेकिंग पॉइंट्स और नाकों पर रात एक बजे से लेकर सुबह तकरीबन पांच बजे तक वीराना रहता हैं , जहाँ किसी की ड्यूटी लगी भी हुई है वो इस समय पर झपकी ले ही लेता है और उसी का फायदा उठा कर लोग शहर से बहार निकल जाते हैं , ऐसे दो मामलों से समझते हैं पूरी तस्वीर :
टाट पट्टी बाखल की नीलोफर अपने पति के साथ सुबह तीन बजे निकल कर पहुंच गयी थी उज्जैन –
तक़रीबन पांच दिन पहले टाट पट्टी बाखल की नीलोफर जिसके तीन बेटे संक्रमित थे अपने पति के साथ रात तीन बजे पैदल उज्जैन के निकल पड़ी , रास्ते में उसे एक ट्रेक्टर वाले ने लिफ्ट भी दी , सुबह तकरीबन आठ बजे नीलोफर अपनी अम्मी के घर पहुँच गयीं थी जहा उनकी अम्मी ने भी अपनी सगी बेटी को बीमारी की वजह से अंदर नहीं आने दिया , मामला तब खुला जब पति पत्नी सड़क पर घुमते रहे और झगड़ते रहे तब किसी ने उनको थाने पहुंचाया जहाँ से इन्हे अस्पताल भेज दिया गया हालाँकि इसके आगे की जानकारी अभी तक नहीं मिली है की वो कोरोना पोसिटिव थे या नहीं थे।
खजराना से युवक सुबह पांच बजे निकल कर पहुंचा खंडवा
चार दिन पहले इंदौर में अपने खालू के यहाँ रहने वाला 23 वर्ष मोहम्मद इफाज़ सुबह पांच बजे चुपचाप बाइक से अपने घर खंडवा पहुँच गया , उसका कहना था की पूरे खजराना क्षेत्र में बीमारी फ़ैली है , उसके खालू को भयंकर खाँसी हो रही है , वो डर गया था इसीलिए सुबह पांच बजे अपने घर खंडवा पहुँच गया।
ऐसे ही न जाने और कितने लोग होंगे जो इन इलाकों से निकल कर अलग अलग जगह पहुँच रहें हैं अथवा उनकी स्क्रीनिंग भी नहीं हो पा रही है , इसमें कोई दो राय नहीं है की यही लोग कोरोना संक्रमण को प्रदेश के अन्य ज़िलों में पहुंचा रहे हैं , ऐसे ही इंदौर के सैफी होटल में काम करने वाले कर्मचारी ने खंडवा में कोरोना पहुंचाया।
क्या कर सकतें हैं :
इन सभी क्षेत्रों में रात्रि की सघन गस्त के साथ चेक पॉइंट, नाकों पर शिफ्ट में पुलिस कर्मी लगाएं और हो सके तो अधिक लगाएं , इस बात का विशेष ध्यान रखें की नाइट ड्यूटी वाले स्टाफ को सुबह पूरी नींद मिले ताकि वो रात को सोएं नहीं , साथ ही रात्रि गस्त की ज़िम्मेदारी वाले वरिष्ठ अधिकारीयों की भी बढ़ोतरी करें ताकि डबल चेक को पाए , चाहें लो लाइन से भी कुछ अफसरों को लिया जा सकता है।
शहर के सबसे संक्रिमत इलाकों के सभी मोबाईल ट्रैकिंग पर डाले – ये मुश्किल सही लेकिन बेहद कारगर साबित हो सकता है , आज सभी के पास फोन है , यदि स्मार्ट फोन नहीं तब भी फोन की ट्रैकिंग की जा सकती है , इससे कोई भी फोन यदि सीमा से बहार जाता है तो उसे तुरंत काबू में किया जा सकता है।
देर रात की सीसीटीवी मॉनिटरिंग सघन करें – देर रात शहर के सभी एंट्री व एग्जिट पॉइंट पर लगे सीसीटीवी की मोटनिटरिंग दिन के साथ साथ रात को भी सघन कर सकतें हैं , इसमें पुलिस चाहे तो इंजीनियरिंग छात्रों को भी वालंटियर के रूप में साथ रख सकती है, कहीं भी मूवमेंट दीखते ही कण्ट्रोल सभी को सूचना दे, हो सके तो रात्रि में भी ड्रोन का इस्तेमाल करें यदि उसमें नाइट विज़न है तो।
इसमें कोई दो राय नहीं है की कोरोना की रोकथाम जनता की पूर्ण भागीदारी के बिना नहीं होगी लेकिन अभी किसी भी लूप होल को खुला रखने का समय नहीं है क्यूंकि एक चूक भी घातक हो सकती है।