एसपी भी क्या करे, टीआई की नहीं सुनते थानों के स्टाफ, इंदौर पुलिस रेंज में पक रही ‘खिचड़ी’
Editorial : डॉ सौरभ माथुर
इंदौर। जबसे इंदौर पुलिस रेंज में तबादले हुए हैं तब से अब तक विभाग का आपसी तालमेल ही ठीक नहीं बैठ रहा।
असल मे इंदौर रेंज में पिछले 6 महीनों में आरक्षक से लेकर डीआईजी तक शफल हो चुकें हैं, ऐसे में कई मौकों पर आपसी ताल मेल बैठता हुआ नहीं दिखाई देता।
एएसआई नए सिपाहियों को समझने में लगा हुआ है, एसआई एएसआई को, टीआई एसआई को और सीएसपी टीआई को।
इस पूरी उधेबुन में बार बार किसी न किसी वहज से इंदौर पुलिस का मखौल उड़ता रहता है, कभी हेड कांस्टेबल बिना पतलून के, कभी टेबल पर सोता हुआ, कभी गस्त से गायब तो कभी कुछ।
हाल इतना बुरा है कि थानों की सीआइ सेल तक को बड़ी वारदातों का पता नहीं रहता।
एसएसपी का अधिकांश समय रोज़ स्टाफ के फैलाये रायते को समेटने में बर्बाद हो जाता है, कभी थाने में मौत का मामला, कभी महिला डीएसपी क्राइम ब्रांच में दखल देतीं हैं तो कभी दूसरी डीएसपी दवाई संचालक से विवाद के चलते सुर्खियों में आ जाती हैं तो कभी आपसी विवाद में सीएसपी सुर्खी बन जाते हैं।
एक के बाद एक इंदौर पुलिस में ‘Haw moment ‘ की झड़ी लगी रहती है , ऐसे में वरिष्ठ अधिकारियों में भी मतभेद खुल के सामने आतें हैं, रेंज के ही दो एसपी की आपसी हॉट टॉक्स पिछले महीने विभाग की कानाफूसी का विषय रहीं।
ऐसा नहीं है कि स्तितिथि को काबू में करने के प्रयास अधिकारी नहीं कर रहे, पर दिक्कत ये है कि असल मे थानों के स्टाफ़ एसएचओ तक को हल्के में लेता है, उसका भी कारण ये है कि अधिकतर टीआई अपने वातानुकूलित कमरों में बैठ कर काम करना पसंद करते हैं जबकि बदलाव के समय मे घुस कर काम करने की आवश्यकता है, फील्ड में रहने की आवश्यकता है।
ठीकरा सिर्फ टीआई के माथे ही नहीं फोड़ा जा सकता, अधिकतर सीएसपी को भी अधिकांश समय अपने क्षेत्र के दौरों और फील्ड में बिताने की आवश्यकता है, यदि ऐसा हो तो एसपी या एसएसपी को देर रात औचक निरीक्षण की आवश्यकता ही नहीं पड़े।
इन सब से वरिष्ठ से लेकर नीचे स्तर के लोगों का मनोबल तो टूटता ही है साथ ही में विभाग में गुटबाज़ी भी शुरू हो जाती है।
समय है अधिकांश अधिकारियों को टेस्टेड रेटिंग स्केल पर आंकने का जिसमे पूरी पारदर्शिता हो, साप्ताहिक रिव्यु में उस स्केल के आंकलन के आधार पर टीआई से लेकर एएसआई तक को उसके प्रदर्शन से अवगवत कराया जाए, जिसमे अच्छे प्रदर्शन को सम्मान मिले तो खराब वालों को मदद, ये तरीका कई अन्य प्रदेशों के पुलिस विभाग में बहुत कारगर हुआ है, शायद इंदौर पुलिस रेंज में भी लाभदायक रहे।
उम्मीद है जल्द ही पूरे विभाग में बेहतर ‘synchronization’ देखने को मिलेगा और शीघ्र ही शहर को औऱ बेहतर पुलिसिंग देखने को मिलेगी।