कहीं दबाव में एक के बाद एक गलती तो नहीं कर रही इंदौर पुलिस ? अमित सिंह परिहार
इंदौर पुलिस की परेशानियां कम होने का नाम ही नही ले रही है ।नेताओ से विवाद सिर पर लोकसभा चुनाव बढ़ता अपराधों का ग्राफ गरीबी में आटा गिला ही था कि पुलिस हिरासत में मौत ने बची खुची कमी पूरी कर दी।
ज्ञातव्य हो कि मैं पहले भी लिख चुका हूं पुलिस की सक्रियता में कमी है व्यावसायिक दक्षता कमजोर हो गई है तथा संतुलन नही बना पा रही आदि आदि समझदार को इशारा ही काफी होता है परंतु नासमझ को कोन समझाए।
अब पुलिस लगी है अपना ट्रेस मैनेजमेंट करने मेडिटेशन के सहारे मैं फिर कह रहा हु इससे कुछ नही होने वाला ,इंदौर पुलिस को चाहिए वो निष्पक्ष निःस्वार्थ हो कर काम करे किसी भी पूर्वा ग्रह से ग्रसित न हो ।किसी भी इश्यू को व्यक्तिगत न ले जिससे उनका ईगो हर्ट न हो ,ईगो पाल कर वो हर्ट होने पर कई अनावश्यक समस्याएं खड़ी हो जाती है आपसी तालमेल थानों व अधिकारी कर्मचारियों में हो जिसकी घोर कमी इस समय दिखाई दे रही है नंबर कमाने तथा आंकड़ो के चक्कर मे न पड़े सीनियर अधिकारी यो को भी चाहिए कि कोई संम्पत्ति संबंधी अपराध हो तो वे थाना प्रभारी व निचले स्टाफ पर तत्काल डिटेक्ट करने का दबाव न बनाये उनके निरंतर दबाव बनाने से हिरासत में मौत जैसी घटनाएं हो जाती है इस बात को समझे सोचे।
अगर हिरासत में मौत का जुम्मेदार थाना प्रभारी के साथ साथ उसके सीनियर भी होंगे यह तय कर दिया जाय तो आप देखेंगे हिरासत में मौत का आंकड़ा बहुत कम हो जाएगा
खैर ये मेरा निजी मत है।
मेरी शुभकामनाये इंदौर पुलिस के साथ हैं बस वे निःस्वार्थ हो कर पूर्ण दक्षता से अपना कर्तव्य समझदारी व संतुलन रख करें सफलता अवश्य मिलेगी ।