मकर संक्रांति विशेष – गंदर्भ पर सवार होकर आ रही है मकर संक्रांति
गदर्भ पर सवार होकर आ रही है मकर सक्रांति-
12 राशियों का फल और राशिनुसार करें दान
सूर्य का धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश 14 जनवरी मंगलवार को रात्रि में 2वजकर 20 मिनट पर हो रहा है इस कारण मकर सक्रांति का पर्व 15 जनवरी बुधवार को मनाया जाएगा। #सूर्य का राशि परिवर्तन रात्रि में होने के कारण पुण्य काल 15 जनवरी बुधवार को सूर्योदय से प्रारंभ होकर सूर्य अस्त तक रहेगा विशेष पर्व शास्त्रों में 8 घंटे का बताया गया है 15 जनवरी बुधवार को प्रातः से लेकर 8 घंटे तक सक्रांति का विशेष पर्व रहेगा इस वर्ष मकर सक्रांति गर्दभ(गधे) पर बैठकर आ रही है मकर सक्रांति का वाहन गर्दभ है उप वाहन मेष पांडुर वस्त्र धारण किए हुए दंड आयुध धारण किए हुए कास्य पात्र रखे हुए पकवान भक्षण करती हुई मृतिका का लेपन करती हुई पक्षी वर्ण की केतकी पुष्प धारण किए हुए मूंगा भूषण धारण किए हुए भोजपत्र का सेवन करती युवावस्था सुप्त स्थिति दक्षिण दिशा से पश्चिम दिशा की ओर जाती हुई सूर्य का मकर राशि में प्रवेश करना मकर सक्रांति कहलाता है। इसी दिन सूर्य उत्तरा यण हो जाते हैं शास्त्रों में उत्तरायण की अवधि को देवताओं का दिन तथा दक्षिणायन को देवताओं की रात्रि कहा जाता है इसी तरह मकर सक्रांति एक प्रकार से देवताओं का प्रभात काल है मकर सक्रांति के दिन स्नान दान जप तप श्राद्ध पाठ पूजन का विशेष महत्व बताया गया है वैसे भी मकर सक्रांति का पर्व दान पुण्य का महापर्व माना गया है
माघे मासि महादेव यो दधाद् घृतकम्बलम्।
स भुक्त्वा सकलान् भोगान् अन्ते मोक्षं च विन्दति।।
इस घृत और कंबल के दान का विशेष महत्व है इसका दान करने वाला संपूर्ण भोगों को भोग कर मोक्ष को प्राप्त होता है
ऐसा कहा जाता है की गंगा यमुना और सरस्वती के संगम पर प्रयाग में मकर सक्रांति के पर्व के दिन सभी देवी देवता अपना स्वरूप बदलकर स्नान के लिए आते हैं इस दिन सूर्य अपनी कक्षाओं में परिवर्तन कर दक्षिणायन से उत्तरायण होकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं जिस राशि से सूर्य की कक्षाओं का परिवर्तन होता है उसे संक्रामण या सक्रांति कहा जाता है भारतीय ज्योतिष के अनुसार मकर सक्रांति के दिन सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में हुए परिवर्तन को अंधकार से प्रकाश की ओर हुआ परिवर्तन माना जाता है मकर सक्रांति से दिन बढ़ने लगता है और रात्रि की अवधि कम हो जाती है स्पष्ट है कि दिन बड़ा होने से प्रकाश अधिक होगा और रात्रि छोटे होने से अंधकार की अवधि कब होगी शास्त्रों के अनुसार मकर सक्रांति को गंगा जी स्वर्ग से उतरकर भागीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम में जाकर सागर में मिल गई थी गंगा जी के पावन जल से ही राजा सगर के साठ हजार श्राप ग्रस्त पुत्रों का उद्धार हुआ था
मकर सक्रांति से सूर्य की गति तिल तिल बढ़ती है इसीलिए इस दिन तिल के विभिन्न मिष्ठान बनाकर एक दूसरों को वितरित किया जाता है मकर सक्रांति के दिन कंस ने श्री कृष्ण को मारने के लिए लोहिता नाम की एक राक्षसी को गोकुल भेजा था जिसे श्री कृष्ण ने खेल खेल में ही मार डाला था उसी घटना के फल स्वरूप लोहड़ी का पर्व मनाया जाता है
देश में अगल अगल नामों से मनाया जाता है मकर सक्रांति का पर्व
उत्तर प्रदेश में इस व्रत को खिचड़ी कहते हैं दक्षिण भारत में इससे पोगल कहते हैं पंजाब एवं जम्मू कश्मीर में लोहड़ी के नाम से मकर सक्रांति का पर्व मनाया जाता है सिंधी समाज में मकर सक्रांति को लाल लोही के रूप में मनाते हैं
मकर सक्रांति के दिन तिल घृत कंबल वस्त्र खिचड़ी दान विशेष महत्व होता है
मकर सक्रांति के दिन तिल दान करना चाहिए तिल ही खाना चाहिए तिल का लेप करके स्नान करना चाहिए एवं खिचड़ी खाना चाहिए।
मकर सक्रांति के दिन से सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं उसी दिन से मांगलिक कार्य जैसे शादी विवाह मुंडन गृह प्रवेश गृहारंभ यज्ञोपवीत संस्कार दुरा गमन नवीन शुभ कार्य आदि प्रारंभ हो जाते हैं
सूर्य का मकर राशि में प्रवेश 14 जनवरी मंगलवार को रात्रि में 2 बज कर 20 मिनट पर हो रहा है मकर सक्रांति का पुण्य काल 15 जनवरी बुधवार को सूर्योदय से 8 घंटे तक विशेष पुण्य काल रहेगा
राशियों पर मकर सक्रांति कैसा रहेगा प्रभाव –
मेष राशि धर्म लाभ
वृषभ राशि मान सम्मान सिद्धि
मिथुन राशि विजय लाभ
कर्क राशि हानी खर्च
सिंह राशि शुभ भाग्य उदय
कन्या राशि संतोष
तुला राशि धन लाभ
वृश्चिक राशि कलह
धनु राशि प्रमोशन ज्ञान वृद्धि
मकर राशि यश कीर्ति
कुंभ राशि मान सम्मान
मीन राशि भय पीड़ा
राशियों के अनुसार करें दान-
मेष राशि गुड तिल हनुमान मंदिर में सिंदूर
वृष राशि चावल सफेद तिल खिचड़ी
मिथुन मूंग दाल गाय को हरा घास कास्य पात्र
कर्क राशि चांदी चावल सफेद चंदन सफेद वस्त्र
सिंह राशि गेहूं तांबे का पात्र रक्त चंदन गुड
कन्या राशि हरा वस्त्र निर्धन गरीबों को भोजन खिचड़ी
तुला राशि चावल दूध दही घृत शकर
वृश्चिक राशि मूंग दाल केसर तिल ताम्रपत्र
धनु राशि चना दाल केसर पीले वस्त्र पीली मिठाई
मकर राशि तिल गुड उड़द से बने मिष्ठान रुद्राक्ष की माला
कुंभ राशि उड़द की दाल तेल तिल
मीन राशि रेशमी वस्त्र भगवान विष्णु को सुशोभित करने के लिए वस्त्र चने की दाल पीले पुष्प पीले फल स्वर्ण
राशियों के अनुसार दे सूर्य नारायण को अर्घ्य
मेष राशि जल में पीले पुष्प हल्दी तिल मिलाकर सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए
वृषभ जल में सफेद चंदन दूध सफेद पुष्प तिल मिला कर दें अर्घ्य
मिथुन राशि जल में तिल दूर्वा पुष्प मिलाकर दे अर्घ्य
कर्क राशि जल में दूध चावल तिल
सिंह राशि जल में कुमकुम रक्त पुष्प तिल
कन्या राशि जल मैं तिल दूर्वा पुष्प
तुला राशि जल में सफेद चंदन तिल दूर्वा
वृश्चिक राशि जल में कुमकुम रक्त पुष्प तिल
धनु राशि जल में हल्दी केसर पीले पुष्प
मकर राशि जल में नीले काले पुष्प तिल
कुंभ राशि जल में नीले काले पुष्प उड़द सरसों का तेल तिल
मीन राशि जल में हल्दी केसर पीले पुष्प तिल मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दें।
ऐसा रहेगा मकर सक्रांति का फल:-
प्रजा के लिए सुख आनंद कारक घर घर में मांगलिक कार्य होंगे सभी सुखी रहेंगे पड़ोसी राष्ट्रों के बीच संघर्ष की स्थिति निर्मित हो गई कफ ज्वार रोग बढ़ेंगे चोर पाखंड दुर्जन ओं में वृद्धि होगी धान की उपज श्रेष्ठ रहेगी महंगाई होने के कारण प्रजा में कष्ट रहेगा पदार्थों के मूल्यों में वृद्धि होगी छोटे व्यापारियों के लिए लाभ रहेगा दुर्घटनाएं बढ़ेंगी। प. मुकेश गौड़ जयपुर 9829452307