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सेबी ने इंदौर की 21 एडवाइजरी कंपनियों को स्कोर शिकायतों को ना सुलझाने के लिए नोटिस भेजे , तीन माह में 502 शिकायतें मिलीं लेकिन पिछले एक साल में एक भी ऑडिट नहीं

इंदौर। रेगुलेटरी संस्था सेबी ने पिछले छः महीने में इंदौर की 21 कंपनियों को स्कोर शिकायतों में ढिलाई बरतने के लिए नोटिस  भेजे हैं हालाँकि पिछले वर्ष इंदौर की एक भी एडवाइजरी का ऑडिट नहीं किया गया जबकि नवंबर 2018 से लेकर जनवरी 2019 तक इंदौर की एडवाइजरी कंपनियों के खिलाफ 502 नयी  शिकायतें  सेबी के स्कोर पोर्टल पर  दर्ज हुईं हैं।

इसी समय अवधि में 1163 शिकायतें निपटाई गयीं जबकि 763 शिकायतें अभी भी पेंडिंग है  जो की अपने आप में एक बड़ा अंक है।  कुछ ही दिनों पहले इंदौर एडवाइजरी उद्योग का नाम पूरे देश में उछला था जहाँ तेलंगाना पुलिस पांच एडवाइजरी संचालकों को धोखाधड़ी के आरोप में अपने साथ ले गयी थी और उसके बाद ऐसे मामले निकलकर  आये जिसमे कुछ एडवाइजरी द्वारा निवेशकों को 100 प्रतिशत मुनाफे तक के वादे लिखित में कर चूका है । वहीं अभी तक सेबी ने दो ही रजिस्टर्ड एडवाइजरी के लइसेंस निरस्त किये हैं जिसमे कैपिटल ट्रू और ज़ोइड रिसर्च हैं।

अगर आंकड़ों की मानें तो मामले के दो पहलू हो सकते हैं :

पहला पहलू  – हालात  पहले से बेहतर – यहाँ 1163 निपटाई गयी शिकयतें और पिछले एक साल में एक भी ऑडिट का न होना ये दर्शाता है की उद्योग की स्तिथि पहले से बेहतर है और स्तिथि काफी हद तक नियंत्रण में है , यदि ऐसा है तो ये एक अच्छा संकेत है।

दूसरा पहलू  –  उद्योग को नियंत्रित करने में लापरवाही और ढीला रवैया : दूसरा पहलू पहले वाले से बिलकुल उलट है जहाँ सिर्फ तीन महिने में 502 शिकायतें आना , 700 से अधिक शिकायतें लंबित होना और ये सब  होते हुए पिछले एक वर्ष में एक भी ऑडिट न होना , ये हाल ही में हुई गिरफ्तारियों से सीधा संपर्क रखता है।  समझें की कुछ सेबी रजिस्टर्ड  कम्पनियां  लगातार निवेशकों को झूठे वादे लिखित में लम्बे समय से देतीं आयीं  , इतना ही नहीं उन्होंने सेबी रेगुलेशन के हर नियम की खुलकर धज्जिया खुले आम उड़ाई और स्तिथि यहाँ तक पहुंच गयी की इंदौर से हज़ार किलोमीटर दूर की पुलिस आयी , आपराधिक मुकदमा दर्ज कर अपराधियों की तरह उन संचालकों को  ले गयी जो सवाल खड़े करती है की

1 ) स्तिथि लगातार ख़राब कैसे होती चली गयी ?

2 ) सेबी या सम्बंधित विभाग ने क्यों ऐसे संगठनों  की कोई जांच या मौके पर पहुँच कर ऑडिट क्यों नहीं करि जबकि लगातार इनकी गंभीर शिकायतें स्कोर पर आती रहीं ?

यदि उपरोक्त कदम लिए जाते तो हो सकता था की स्तिथि काबू में आ जाती और उससे सभी को फायदा मिलता, न ही संचालकों को जेल जाना पड़ता, न ही निवेशकों को थाने।

बहरहाल हालत ऐसे है की निवेशक भी आजकल पुलिस के पास जाना ज्यादा पसंद करते हैं हालाँकि इसके दुरोप्योग के भी कुछ मामले सामने आये  हैं।

कुल मिलाके  एडवाइजरी उद्योग प्रदेश का एक बड़ा उद्योग है और यदि इससे जुड़ा हर किरदार अपना काम बखूबी निभाए तो हज़ारों युवओं को रोज़गार और लाखों  निवेशकों को सही सलाह मिलती रहेगी , भारती न्यूज़ भी परिस्तिथियों को बेहतर बनाने के लिए हर नींव को समय समय पर खोदती व टटोलती रहेगा ।

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